Thursday, December 12, 2019

Story of panchatantra- पंचतंत्र की कहानी

Story of panchatantra- पंचतंत्र की कहानी
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हेलो नमस्कार दोस्तों आज हम जानेंगे पंचतंत्र की कहानी के बारे में। दोस्तों बहुत समय पहले विजयनगर राज्य में। जहां कृष्ण देव राय शासन किया करते थे। वहां पर चार मित्र रहते थे। और वह ज्यादा अमीर नहीं थे। एक दिन उन चारों ने शहर जाकर काम करने का फैसला किया। और जब शहर चले तो। उनके सामने एक दिक्कत आई। उनका कीमती सामान।  तो उनमें से एक आदमी ने कहा। अगर हम इसे यहीं पर छोड़ देंगे। तो वह सकता हो चोरी हो जाए। तो उनमें से दूसरे ने कहा। चिंता मत करो मेरे घर के पास। एक धोबन रहती है। क्यों ना हम अपना सामान उसके पास छोड़ जाए। तो उन्होंने कहा हां यह सही रहेगा। तो चारों धोबन के पास गए। और अपना सारा सामान धोबन को दे दिया।और धोबन से कहा हम शहर काम करने जा रहे हैं। इसलिए अपना सारा सामान तुम को दिए जा रहे हैं। और जब तक हम चारों वापस काम करके ना आए। तब तक तुम यह सामान किसी को नहीं देना। तो धोबन ने कहा ठीक है।
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अब चारों मित्र शहर काम करने के लिए निकल जाते हैं। पहला मित्र कपड़े का व्यापारी बना। दूसरे मित्र ने तेल का काम शुरू किया। तीसरे ने अनाज में बहुत सारा धन कमाया। और चौथा मित्र  असफल रहा। थोड़े दिनों बाद। चौथा मित्र अपने गांव चला गया। गांव जाकर धोबन के पास गया। और उससे कहता है। कि मेरे मित्र एक मुसीबत में फंस गए हैं। इसलिए वह सामान हमें दे दो। तो धोबन कहती है ठीक है। और सारा सामान उठाकर उस आदमी को दे देती है। थोड़े दिनों बाद। वो तीनों आदमी अपना सामान लेने आए। तो धोबन ने उनसे कहा। कि आपका मित्र आया था। और वह कह रहा था। कि आप लोग मुसीबत में हैं। और वह सारा सामान ले गया। तो उन तीनों आदमियों ने। धोबन धोबन से कहा। तुम झूठ बोल रही हो। हमने तुम पर यकीन किया था। कि तुम हमारा सामान सुरक्षित रखो गी।
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लेकिन तुम बेईमानी कर रही हो। इसकी सजा तुम्हें जरूर मिलेगी। यही सब बातें हो रही थी। तभी उधर से दरबार में काम करने वाले। तेलानीराम निकल रहे थे। और यह देखकर तेनालीराम उनके घर की ओर बढे। और कहने लगे कि यहां पर क्या हो रहा है। और किसको सजा देनी है। तो तीनों मित्रों ने तेनालीराम को पूरी कहानी बताई। और फिर धोबन ने भी रोते हुए अपनी पूरी कहानी सुनाई। और यह पूरी कहानी सुनने के बाद तेलामी राम बोले। कि हो सकता हो  औरत झूठ बोल रही हो। लेकिन तुमने उससे कहा था। कि जब तलक हम चारों मित्र ना आए। तब तक सामान ना वापस करना। लेकिन तुम तो तीन ही लोग हो। तुम्हारा चौथा मित्र कहां है। उसे लेकर तो आओ। तभी तो तुम्हारा सामान मिलेगा। और तब तलक यह उसको संभाल कर रखेगी। उन तीनों मित्रों को अपनी हार का अफसोस हुआ। और वो वहां से चले गए। अगर दोस्तों आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो। इसके लिए एक फॉलो जरूर कर देना।


शिक्षा बुरी संगत सबके लिए हानिकारक है।