Sunday, February 23, 2020

Sonny's winged swan.-सोनी के पंखों वाला हंस।

 Sonny's winged swan.-सोनी के पंखों वाला हंस।
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एक तालाब के किनारे एक मछुआरा रमेश रहता था। वह एक गरीब आदमी था। मछलियां पकड़ कर बाजार में बेचता था। और उनसे जो पैसे मिलते। उसी से अपनी रोजी-रोटी चलाता था। और वह एक दिन तालाब के किनारे बैठा था। तब उसे एक चील दिखी। जो एक पीले हंस को। उठाए लिए जा रही थी। और वह हंस चिल्ला रहा था। बचाओ मुझे। यह देखकर रमेश चील को मार देता है। हंस की जान बच जाती है। और उसको तालाब में छोड़ देता है। तो हंस कहता है शुक्रिया मेरे दोस्त। तुमने मेरी जान बचाई है। आज से हम दोनों दोस्त हैं। उसी दिन से वो हर रोज। तालाब के किनारे रमेश से मिलता था। और जब एक दिन रमेश। तालाब पर मछलियों को पकड़ने नहीं आया। तो हंस खुद रमेश के घर पर गया। और घर आकर देखा कि। रमेश दु:खी है।

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और उससे एक आदमी कहता है। रमेश तुम हमारे पैसे वापस कर दो। मैं आब कुछ नहीं जानता। तो रमेश कहता है। हमें थोड़ा और समय दो। मैं तुम्हारे पैसे तुमको लौटा दूंगा। आदमी कहता है। जल्दी करो। मैं तुमको अब ज्यादा समय नहीं दे सकता। वह आदमी वहां से चला गया। अब वहां पर हंस आ गया। और कहता है। मेरे दोस्त। तुमने हमको यह बात बताई क्यों नहीं। तुम्हें पैसे की जरूरत है। और कहता है। यह लो मेरा एक पंख। जो सोने का है। इसको बेचकर तुम अपना कार्य उतार दो। और इसके बाद भी कोई जरूरत पड़े। तो मुझसे कहना। तो रमेश कहता है। धन्यवाद दोस्त। और अब किसी चीज की जरूरत पड़ती। तो रमेश की पत्नी हंस से एक पंख मांग लेती थी। और ऐसे ही रमेश अमीर हो गया। एक  दिन उसकी पत्नी ने कहा।
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सुनो आज हंस से एक पंख जरूर मांग लेना। हमको एक हार पसंद है। हमको उसे लेना है। तो रमेश अपनी पत्नी से कहता है। नहीं मैं ऐसी छोटी-छोटी बातों के लिए। अपने दोस्त को परेशान नहीं करूंगा। और गुस्सा होकर रमेश वहां से चला गया। तभी उसके घर पर हंस आता है। और कहता है रमेश तुम कहां हो। तो रमेश की पत्नी बोली। वो तो बाजार को गए हैं। लेकिन आप ठहरिए। आपसे उनको कुछ काम है। तो हंस कहता है। ठीक है। और वो रमेश के घर पर रुक जाता है। लालच में आकर रमेश की पत्नी। उस हंस को पीछे से आकर पकड़ लेती है। और वह हंस कहता है। क्या कर रही हो। हमें छोड़ दो।
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वरना हमारे पंख टूट जाएंगे। और वो हंस चिल्लाने लगता है। रमेश की पत्नी कहती है। अब जाके हाथ में आए हो। अब तो बहुत सारे पंख एक साथ तोडूंगी। और वो पंख तोड़ लेती है। हंस को छोड़ देती है। तो हंस करता है। जो यह तुमने मेरे पंख तोड़े हैं। यह सोने के नहीं है। अगर मैं इनको खुद तोड़ता। तो ये सदैव सोने के रहते। तो वो कहती है। ये क्या मैंने क्या कर दिया। तो हंस कहता है। अब तुम पछताओगी अब मैं यहां कभी नहीं आऊंगा। और तभी रमेश वहां पर आ जाता है। और कहता है। दोस्त तुम हमको माफ कर दो। जो हमारी पत्नी ने तुम्हारे साथ किया उसका हमें बहुत खेद है।

शिक्षा - ज्यादा लालच करना ठीक नहीं है।