Wednesday, December 18, 2019

Loyal Magic Dog-वफादार जादूई कुत्ता।

Loyal Magic Dog-वफादार जादूई कुत्ता।
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एक गांव में एक कैलाश नाम का एक आदमी रहता था। वह प्रशाद बेचने के लिए गांव के ही मंदिर में दुकान लगाता था। और जब प्रसाद बिकता उसे जो पैसे मिलते थे। वह उन्हीं पैसो से अपना गुजारा करता था। कैलाश की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन वह मन का बहुत साफ और दयालु इंसान था। एक दिन मंदिर में सामने छोटा सा घायल कुत्ता पड़ा था। और दर्द में बहुत चिल्ला रहा था। वह बहुत गंदा भी दिख रहा था। इसीलिए वहां आने जाने वालों ने उस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। और उसे नहीं उठाया। शाम को जब कैलाश अपनी प्रसाद की दुकान बंद करके निकला। तो देखा एक कुत्ता पड़ा है। और दर्द से चिल्ला रहा है। तो वह तुरंत कुत्ते को पास जाता है। और उसे उठा लेता है। और घर ले जाकर उसका उसने अच्छे से इलाज किया। उसको स्नान भी करवाया। और उसने अपने हिस्से का उसको खाना भी दिया। और धीरे-धीरे उसकी तबीयत ठीक होने लगी। और फिर कैलाश ने उसका नाम गोपी रख दिया।

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एक दिन कैलाश की पत्नी बोली। अब तो हमारा बेटा बड़ा हो गया है। इसे हमें स्कूल भेजना चाहिए। तो कैलाश बोला। अभी मेरे पास इतने रुपए नहीं है। दूसरे साल हम जरूर अपने बेटे को स्कूल भेजेंगे। तब तक हमारे पास इसके फीस के लिए पैसे भी हो जाएंगे। अपनी निर्धनता को देखकर पति पत्नी दोनों शर्मिंदा हो गए। और इसके बाद जब कैलाश गोपी को खाना देने लगा। तब गोपी रोटी खा गया। और कैलाश को एक सोने का सिक्का दिया। और गोपी ने कहा इसको तुम रख लो। इससे तुम अपने बेटे की फीस जमा कर देना। अब यह सब देखकर कैलाश और उसकी पत्नी बहुत खुश हुए। और दूसरे दिन ही अपने बेटे को स्कूल भेज दिया। और अब इसी तरह से रोज गोपी रोटी खाता। और कैलाश को एक सोने का सिक्का देता। और कैलाश धीरे-धीरे धनी हो गया। अब उसकी दुकान की बिक्री भी बढ़ गई। वह बहुत अच्छे अच्छे कपड़े पहनने लगा। और यह सब देखकर। उसके पड़ोसी रमा और धमाकों अच्छा नहीं लगा।
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 और रमा कहने लगा अब तो कैलाश बहुत सज धज के रहता है। और अच्छे अच्छे कपड़े भी पहनता है। दुकान भी देखो कितनी बड़ी कर ली है। तो धमा बोला हां। तुम सही कह रहे हो। कोई तो बात है। तो रमा बोला चलो आज हम कैलाश के घर जाकर देखते हैं। कि क्या राज है। दूसरे दिन रात को रमा और धमा कैलाश के घर जाते हैं। और छुप कर देखते हैं। कि कुत्ते को रोटी खिलाने से एक सोने का सिक्का मिलता है। तो रमा और धमा कहते हैं। अच्छा तो यह बात है। कैलाश इस कुत्ते से धनी हुआ है। तो धमा बोला चलो हम इस कुत्ते को। यहां से अपने वहां ले चलते हैं। और जब कैलाश वहां से चला जाता है। तब वह दोनों गोपी के पास जाते हैं। और कहते हैं गोपी तुम आजकल बहुत पतले हो गए हो। हम तुम्हारे लिए लड्डू लाए हैं। और यहां तुम इनका बचा कुचा खाना खाते हो। यह देखो कितनी सूखी रोटी है। तुम हमारे यहां चलो हम तुमको लड्डू और अच्छे पकवान खिलाएंगे। इसके बाद जैसे ही गोपी ने लड्डू खाकर हजम किया वैसे ही रमा और धमा के सिर पर पत्थर गिरने लगे। तो दोनों बोले। अरे तुम क्या कर रहे हो। सोने के सिक्के देने के अलावा हमको पत्थर दे रहे हो। तो गोपी  बोला तुम इसी के लायक हो। तुम दोनों बहुत ही ज्यादा लालची हो। इसके अलावा तुम दोनों स्वार्थी भी हो। जिस वक्त मै मंदिर के बाहर जख्मी पड़ा था। तब तुम दोनों ने। वहां पर मुझे गंदा कुत्ता कह कर पड़ा रहने दिया था। और जब तुमको पता चला। कि मैं जादुई कुत्ता हूं।

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तो तुम मुझे बांहकाकर अपने अपने घर ले जाना चाहते हो। हम कैलाश के वफादार हैं। और सच में कैलाश हम से बहुत प्रेम करता है। और यह कहकर गोपी ने दोनों को वहां से भगा दिया। तब दोनों अपने घर जाते हैं। और कहते हैं। यह गोपी ऐसे हमारे हाथ नहीं आएगा। कल मंदिर में बहुत बड़ी पूजा होने वाली है। क्यों ना हम कैलाश का सारा प्रसाद चलकर चुरा ले। और जब प्रसाद बचेगा ही नहीं तब सब कैलास पर बहुत गुस्सा करेंगे। और उसे गांव से बाहर निकाल देंगे। और हमको गोपी भी मिल जाएगा। तो दोनों प्रसाद चुराने जाते हैं। और जैसे ही दुकान का दरवाजा खोलते है। वैसे ही गोपी को पता चल गया। क्योंकि वह जादुई कुत्ता था। और कैलाश को बता देता है। कैलाश जाकर बाहर से दरवाजा बंद कर देता है। और गांव के मुखिया को बुला कर लाता है। उनको रमा और धमा की सारी हरकतें बताता है। और मुखिया उन दोनों को गांव से बाहर निकाल देते हैं। और फिर से सब खुशी- खुशी रहने लगते हैं।